शास्त्र एवं विज्ञान के समन्वय से, वाल्मीकि रामायण के अनसुलझे रहस्यों का सही आकलन सटीक समय-निर्धारण, वह भी आज के समय प्रचलित कैलेंडर के अनुरूप
श्री राम के जीवन काल की ऐसी कई घटनाओं का सटीक समय संशोधन इस ग्रंथ में है ।
वाल्मीकि रामायण की समिक्षित आवृत्ति के आधारित शोध के परिणाम स्वरूप रामायण के रहस्यों का चिंतन : श्री राम -कोस्मोलोजिकल टाइम लाइन|
ग्रन्थ कार
मौलिक भट्ट
परामर्शक
प्रो. डॉ. कमलेश कुमार चोकसी,
निदेशक – भाषा साहित्य भवन, गुजरात युनिवर्सिटी, अहमदाबाद
प्रो. डॉ. मयूरी भाटिया,
निदेशक – भाषा साहित्य भवन, गुजरात युनिवर्सिटी, अहमदाबाद
श्री राम के समयकाल को वर्तमान समय मापन पद्धति (कैलेंडर) के अनुरूप मापकर समग्र घटनाओं को वर्तमान कैलेंडर स्वरूप में अंकित करने से आने वाली पीढ़ियाँ भारतवर्ष के भव्य और गौरवशाली इतिहास को सरल एवं उत्तम रुप से समझकर उससे जुड़ पाएगी | हम आज जो कैलेंडर उपयोग में ले रहे हे वह स्वपरूप में श्री राम के जीवनकाल की घटनाएं प्रस्तुत नहीं हे उस वजह से वर्तमान पीढ़ी उससे आसानी से जुड़ नहीं पाती, उसी कारण से वर्तमान पीढ़ी एवं आने वाली पीढ़ी इस से दूर हो जा रही हे|
शोध कार्य श्री मौलिक भट्ट, शोध विशेषज्ञ और मैनेजिंग ट्रस्टी कॉस्मॉ रीसर्च फाउन्डेशन द्वारा और मुख्य परामर्शक, गुजरात युनिवर्सिटी के भाषा साहित्यभवन के डायरेक्टर प्रॉ. डॉ. कमलेश चोकसी एवम् गुजरात युनिवर्सिटी के महर्षि पाणिनी संस्कृत संवर्धन केन्द्र के डायरेक्टर प्रॉ. डॉ. मयूरी भाटिया के मार्गदर्शन में वाल्मीकि रामायण के रहस्यो को सुलजाते हुए सटीक दिनांक का निर्णय किया गया है।
वाल्मीकि रामायण की २००० से अधिक मैन्युस्क्रिप्ट की बारीक जांच द्वारा समीक्षा के बाद तैयार हुई रामायण के शोध संस्करण के आधार पर उस में वर्णित खगोलीय और उस के संबंधित घटनाओं के संदर्भ पर से शोध कार्य कर के श्री राम के जीवन के प्रसंगो का सटीक समय और उस के सटीक दिनांक का निर्णय किया गया है। हमें इस बात का ध्यान रखना है कि इस ग्रंथ के लिए जो भी सन्दर्भ लें वह वास्तविक हो काल्पनिक ना हो या कहीं रूपक की तरह उपयोग में लिया गया ना हो, तभी वह सन्दर्भ वास्तविक हो सकता है |
रामायण काल में भारतीय वैदिक ज्योतिष के सिद्धांत द्वारा खगोलीय घटनाओ का आकलन होता था। आज के भारतीय ज्योतिष के सिद्धांत उन से अलग है। इस लिए सर्व प्रथम भारतीय वैदिक ज्योतिष के अनुसार सिद्धांतों को प्रस्थापित किया गया क्योंकि रामायण में वर्णित प्रत्येक आकाशीय घटना भारतीय वैदिक ज्योतिष के सिद्धांत के अनुसार थीं।
आधुनिक युग के खगोलीय विज्ञान के सिद्धांत के आधार पर तैयार एस्ट्रॉनॉमी सॉफ्टवेर के उपयोग से संबंधित समय की खगोलीय स्थिति का आकलन करने में मदद मिलती है। जिस के लिए नासा जैसी संस्था की मदद से प्राप्त एफेमेरिस द्वारा एस्ट्रॉनॉमी सॉफ्टवेर तैयार किया जाता है। इस से बहोत सटीक और अच्छे परिणाम मिलतें हैं। किन्तु शोध के दौरान उस में भी त्रूटियां ध्यान में आईँ। उन को भी सुधारना आवश्यक होने के कारण सर्व प्रथम वह त्रूटियों को सुधार के शोध कार्य में मदद में लिया गया।
हमने इतिहास ग्रन्थ, शास्त्रों में से एवं विज्ञानं की अलग अलग शाखाओ से एक अवधि प्राप्त की जिस से श्री राम का जन्म कम से कम कितने वर्ष पूर्व हुआ होगा या ज्यादा से ज्यादा कितने वर्ष पूर्व हुआ होगा वह प्राप्त हुआ |
इस तरह वाल्मीकि कृत रामायण में दिए गए खगोलीय सन्दर्भ को हमने इकठ्ठा करके पिछले १३००० वर्ष के ग्रहोंकी स्थितिओ को चेक किया |
श्री राम के जन्म के दिवस गुरु, सूर्य, शुक्र, मंगल, शनि यह पांच ग्रह अपनी उच्च राशि में बिराजमान थे |
शयह घटना पिछले १३००० वर्षो में सिर्फ एक बार हो रही हे, अतः निश्चित श्री राम का जन्म उसी दिन हुआ होगा | वर्तमान कैलेंडर के अनुसन्धान में वह तारीख हे २२ फरवरी ७११९ BCE|
हमने श्री राम के जीवन की लगभग सभी महत्वपूर्ण घटना की सटीक तारीख प्राप्त की जैसे के श्री राम का विवाह, श्री राम का वनवास गमन, श्रामसेतु निर्माण, राजा रावण का वध ओर अयोध्या में पुनरागमन इत्यादि |
रामायण में जयादातर घटनाएं आज हमारे ज्ञात भारतीय तिथिओ के अनुरूप हे किन्तु वाल्मीकि कृत रामायण में राजा रावण के वध की तिथि का जो वर्णन हे वह फाल्गुन मास की शुक्ल १० हे | परन्तु हम रावण दहन अश्विन शुकल १० को करते हे |
श्री राम - कॉस्मोलॉजिकल टाइम लाइन पुस्तक को ५ वर्ष से ९५ वर्ष के व्यक्ति को आसानी से रामायण के हर प्रसंग से जुड़ सके उस रूप में लिखा गया हे| यह पुस्तक बालक, गृहिणी, जिग्नासु, इतिहास कार, शोध विशेषज्ञ, साहित्य कार सभी को अपने अपने परिपेक्ष में रामायण की घटना से जुडी जानकारी प्रपात हो सकती हे |
शयह संशोधन कार्य आने वाले कार्यो के लिए एक आधार बन सकता हे |