शनि ग्रह…हमारे मित्र | Saturn…Our Friend

शनि ग्रह...हमारे मित्र | Saturn...Our Friend by Minal Jog

By Minal Jog

शुभम,

शनि ग्रह का नाम आते ही क्या आप को डर लगता है? जब आप को पता चले की आप पर शनि की ढैया चल रही है तो क्या आप चिंतित हो जाते है? बस कुछ ऐसे ही सवालों से प्रेरित होकर मुझे लगा की इस विषय पर थोड़ा विचार किया जाए। ऐसा तो क्या है की जनमानस पर इनका इतना डरावना प्रभाव है? इनके आते ही सब चोकन्ने हो जाते है, जब की भारत में जहां इनका मंदिर है, शनि शिंगनापुर, वहाँ तो लोगों के घर पर दरवाजा ही नहीं है, कोई ताला ही नहीं लगाता। ना किसी घूसपेठीए का डर ना किसी चोर का! ऐसा क्यों? तो आइए थोड़ा कुछ अधिक जाने हमारे मित्र शनि ग्रह के बारे में।

शनै: शनै:……. मतलब धीरे धीरे, होले होले , मंद गति से. शनि देव हमारे सभी ग्रहों में सबसे धीमी चाल चलने वाले ग्रह है. इनको हमारी राशि चक्र की एक राशि पूरी करने में ढाई साल लगता है। अब थोड़ा कुछ समज आ रहा है? ढाई यानी ढैया। और आगे…… इनके सभी गुणों में से मुख्य गुण जो हमारे शास्त्रों में वर्णित है वो है दुःख और संयम। इसी लिए गोचर में जब वे हमारी कुंडली में चंद्र राशि यानी हमारा जन्म समय का चंद्र जिस राशि में स्थित है वहाँ से पीछे वाली राशि से, उसी राशि पर से और आगे वाली राशि से गुजरते है तो हमारे चंद्र यानी मन पर दुःख-चिंता का आवरण खड़ा करते है। भारत में कइ जगहों में इस गोचर को साडेसाती के नाम से भी जाना जाता है। शनि ग्रह मूल कुंडली के चंद्र के आसपास की तीन राशियों में गोचर करते हुए साढ़े सात साल का समय लेते है, और इसी वजह से इसे शनि की साडेसाती भी कहा जाता है। जब शनि ग्रह मूल कुंडली की चंद्र राशि से चौथी या आठवीं राशि से गुजरते है तो उसे छोटी ढैया या छोटी पनोती कहते है।

जीवन में बंधन किस को अच्छा लगता है?, शायद किसी को नहीं। हमारा मन जो चंचल है और शनि देव के प्रभाव में आने पर उसे संयम बरतना पड़ता है, ऐसा बंधन कौन पसंद करेगा? इनके इस गोचर के प्रभाव से जीवन में कुछ भी पाने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है, जीवन इस प्रकार चारों तरफ से मुश्किलों से घिरा हुआ हो एसी अनुभूति होती है… इन्हीं वजहों से शनि ग्रह को कोई पसंद नहीं करता और इनके आने की आहट से ही गभराहट फैल जाती है।

लेकिन हम एक बात भूल जाते है या गौर नहीं करते, वो ये की – वो हमसे जितनी मेहनत करवाते है उतनी ही सफलता भी देते जाते है। और ऐसी सफलता जो लंबे समय तक हमारे साथ रहे, क्षण भंगुर ना हो। शनि की साडेसाती में संतान प्राप्ति, धन प्राप्ति, विवाह होना, खुद का घर लेना, नौकरी में बढ़ौती, यश मान प्रतिष्ठा बढ़ना जैसे सभी शुभ परिणाम मिल सकते है।  ऐसा भी माना जाता है की हमारे जीवन में, हमारे कर्मों का फल देने के लिए ही इनका आगमन होता है। अगर हमारे कर्म अच्छे हो और हम महेनत से पीछे ना हठे तो साडेसाती में भी हमारी प्रगति को कोई रोक नहीं सकता, क्योंकि ऐसे जातक पर शनि ग्रह का आशीर्वाद सदा बना रहता है।

किन्तु कभी कभी ऐसा भी प्रतीत होता है, की किसी दो व्यक्ति को शनि की साडेसाती चल रही है लेकिन एक को कम मेहनत पर फायदा हो रहा है और एक को कड़ी मेहनत के बावजूद भी कोई मुनाफा नहीं। तो ये विचार आना सहज है की कम मेहनत करने वाली व्यक्ति पर हमारे न्याय प्रिय मित्र शनि प्रसन्न क्यों? क्या साडेसाती का कोई बुरा प्रभाव इस व्यक्ति को नहीं सहन करना पड़ेगा? यह बात हम वैदिक ज्योतिष की  मदद से समज सकते है। जब किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि योगकारक या उनकी उच्च राशि में या स्वगृही या मित्र की राशि में स्थित हो तो हम जितना सोचते है, शनि ग्रह, उतना बुरा फल नहीं प्रदान करते। उसी तरह अगर गोचर में शनि का भ्रमण पृथ्वी तत्व या वायु तत्व की राशि से होता है तो भी वो कम तकलीफ देते है। इससे विपरीत अगर शनि मूल कुंडली में निर्बल अवस्था में है, या क्रूर या उग्र नक्षत्र में है या शत्रु राशि में स्थित है तो अशुभ परिणाम मिलने की संभावना बढ़ जाती है। शनि की साडेसाती का परिणाम हर व्यक्ति की जन्मकुंडली मे शनि और चंद्र के शुभ अशुभ संबंध पर भी उतना ही निर्भर करता है। हर एक व्यक्ति को इस तरह शनि की ढैया में अलग-अलग फल मिल सकता है और उसकी जानकारी हमें उस व्यक्ति की जन्म कुंडली से मिल सकती है।

साल 2020-21 में, गोचर में शनि मकर राशि में स्थित है। इसलिए धनु, मकर और कुम्भ राशि के जातकों को शनि की साडेसाती चल रही है। और तुला और मिथुन राशि के जातकों को शनि की छोटी ढैया (2.5 साल के लिए) चल रही है।

शनि की साडेसाती में डरे बिना अगर नित्य नियम से कुछ चीजों का ठीक से पालन किया जाए तो साडेसाती की तीव्रता निश्चित रूप से कम की जा सकती है।

  • अगर विद्यार्थी काल में शनि की साडेसाती से आप गुजर रहे है तो निश्चित ही मन भटकने की संभावना है। अभ्यास में मन ना लगना, व्यसनी मित्रों की संगत होना, प्रेम प्रकरण में पड़ना, ऐसी परिस्थितियों का सामना करना पड सकता है। इसके लिए आपको गणपति की उपासना करनी चाहिए। पढ़ाई में बैठने से पहले सरस्वती माँ को याद करले तो सोने पे सुहागा। इससे मन स्थिर होगा और ध्येय से भटकेगा नहीं।
  • आप अगर मृदु स्वभाव के हो और साडेसाती में आत्मविश्वास कमजोर होता हुआ नजर आए, मन बैचेन रहने लगा हो तो आपको सूर्य की उपासना करनी चाहिए। गायत्री मंत्र  का जाप रोज करना आपके लिए सबसे सर्वोत्तम उपाय है। जिससे आत्मविश्वास में बढ़ौती होगी और स्वास्थ्य भी अच्छा रहेगा। वरिष्ठ अधिकारियों से सबंध सुधरेंगे और नौकरी में बढ़ौती के योग में भी सफलता मिल सकती है। बिजनेस में भी फायदा होगा।
  • साडेसाती मे मिलने वाले अनिष्ट परिणामों को कम करने के लिए आप शिवजी की शरण भी ले सकते है। ॐ नमः शिवाय का जाप आपको साडेसाती के सारे संकटों से रक्षा प्रदान करेगा।
  • साडेसाती में हनुमान चालीसा का नित्य पठन करना चाहिए। हनुमान जी के हर मंगलवार या शनिवार को दर्शन करने चाहिए। जिससे साडेसाती में आने वाली मुश्किल परिस्थितियों का आप अच्छे से सामना कर सको।
  • शनि ग्रह की भी आप पूजा कर सकते है। शनि मंत्र “ॐ शं शनैश्चराय नम:” की रोज एक माला या फिर शनैश्चर स्तोत्र का रोज पठन बहुत ही प्रभावशाली उपाय है।
  • फल की चिंता किए बिना जो भी उपासना आप करे आप को नित्य नियम से करनी है, श्रद्धा से करनी है, और साथ में अन्न दान, वस्त्र दान, द्रव्य दान जो भी शक्य हो आपको वो करना चाहिए।

ये तो बात हुई क्या करना चाहिए, अभी साडेसाती में क्या नहीं करना  चाहिए यह भी बहुत महत्वपूर्ण है। जैसे हमने आगे जाना की शनि देव न्यायप्रिय देव है, और वो हर व्यक्ति को उसके कर्म के अनुसार फल देते है। इसलिए हमें अच्छे कर्म करने चाहिए।

  • जैसे की घर में अपने माता पिता और बड़े बुजुर्गों की सेवा करनी चाहिए।
  • अपने कार्यक्षेत्र में अपने से छोटे पदाधिकारियों से भी सम्मान से पेश आना चाहिए।
  • लालच से दूर रहना चाहिए। कोई पैसे देकर काम करवाना चाहे तो साफ मना करना चाहिए।
  • मास मदिरा से दूर रहना चाहिए।
  • कोर्ट कचहरी, फौजदारी कार्यवाही से बन सके तो दूर रहना चाहिए।
  • हो सके तो कोई नया काम जैसे नौकरी बदलने की या नया बिजनेस शुरू करने की इच्छा थोड़े समय के लिए रोकनी चाहिए।
  • नया घर, प्लॉट ,जमीन लेना टालना चाहिए। महंगा पड़ने की शक्यता रहती है।
  • किसी के लिए जमानत नहीं देनी चाहिए।

शनि की साडेसाती हर व्यक्ति के जीवन में कम से कम 2 या 3 बार आती है। और जाते-जाते व्यक्ति को बहुत से अनुभव देकर जाती है। व्यक्ति का आचरण शुद्ध बन जाता है। व्यक्ति अंतर्मुखी बन जाता है और भगवान के ज्यादा करीब आ जाता है। अपना जीवन वह नए द्रष्टिकोण के साथ शुरू करता है।  

इस तरह शनि ग्रह हमारे जीवन में महत्व के बदलाव लाते है। जिस तरह नमक बिना खाना बेस्वाद बन जाता है उसी तरह अगर जीवन में दुख और परेशानियाँ ना हो तो जीवन की खुशी को भी हम महसूस नहीं कर सकते। जीवन नीरस हो जाएगा। जीवन जीने का सही आनंद लेना हो तो शनि ग्रह बहुत ही महत्व पूर्ण ग्रह है।  

क्या आप भी शनि की साडेसाती से गुजर रहे है? आपकी कुंडली के अनुसार आप का यह समय कैसा जाएगा जानने के लिए आप कॉस्मो कॉल के माध्यम से मुझसे परामर्श कर सकते है।

अस्तु।

शुभम |

7 Replies to “शनि ग्रह…हमारे मित्र | Saturn…Our Friend

  1. Short, sweet and perfect information in the simple words to comprehend by the common people. Plz give same kind of information about Rahumaharaj and Ketumaharaj.

  2. खूपच छान माहिती आहे , असंच तुझ्याकडून अभ्यास – लेखन घडो

  3. ખૂબ જ અગત્યની જાણકારી આપી છે, લોકો ના મન માં છુપાયેલો શનિ નો ડર દૂર કરવા નો સારો પ્રયાસ કર્યો છે. ખૂબ ખૂબ શુભેચ્છાઓ.

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