प्रेम – विवाह

prem-vivah

By Namrata Oza

प्रेम  शब्द को सब अच्छे से जानते है | प्रेम किसी वस्तु या फिर व्यक्ति के प्रति रहता है | प्रेम के अलग अलग प्रकार होते है | यहाँ हम बात कर रहे है स्त्री और पुरुष के बीच का प्रेम | बात करेंगे प्रेम विवाह के कुंडली में योग के बारे में |

विवाह‘ हमारे षोड़श(16) संस्कारो में से एक है | इस संस्कार में स्त्री और पुरुष सामाजिक तौर से, नियमानुसार एक दूसरे से जुड़ते है | विवाह का सर्वोपरि उद्देश्य है संतान प्राप्ति, वंश वृद्धि और सामाजिक अनुशासन | यह संस्कार में नर – नारी एक सूत्र में बँध जाते है | जीवनभर एक दूसरे का साथ सहकार का आदान – प्रदान करते है |

‘गन्धर्व विवाह ‘ सब ने नाम सूना होगा | जब कन्या और वर स्वेच्छा पूर्वक एक दूसरे का स्वीकार करते है या एक दूसरे को प्रेम करते है तो इनका विवाह गन्धर्व विवाह कहते है | इस विवाह में केवल कन्या और वर की अनुमति होती है | आदि काल से यह विवाह चला आ रहा है | और आज के समय में यह विवाह का चलन बढ़ गया है |

आज यहाँ हम प्रेम विवाह के योग जन्म कुंडली  में कैसे  बनते  है उसकी बात करेंगे | किसी की तरफ आकर्षण होना और प्रेम होना दोनों  में काफी अंतर है | बहोत  सारे लोग प्रेम करते है किन्तु सब का प्रेम विवाह संस्कार में परिवर्तित नहीं हो पता है | यह बिलकुल सही  है की प्रेम की शुरुआत आकर्षण  से ही  होती  है , लकिन किन किन के बीच आकर्षण  होगा यह सब ग्रहों  की दें है | जन्म कुंडली के पारस्परिक ग्रहो की स्थिति के अनुसार इसे समजा जा सकता  है |

चलिए देखते है कि  कैसे ग्रहो की स्थिति  से प्रेम विवाह संभव होता है | किन चीजों की वजह से प्रेम , विवाह तक नहीं पहुँचता |

प्रेम विवाह में जिसकी  मुख्य भूमिका  है वह है चंद्र , शुक्र  और मंगल |

चंद्र  , शुक्र  और मंगल का सम्बन्ध प्रेम विवाह की तरफ ईशारा  करता है | इन तीनो में से दो की या तीन की युति, प्रति युति या किसी भी तरह का सम्बन्ध बनाते है तो प्रेम विवाह की संभावना बढ़ जाती है |

विवाह के  लिए लग्नेश  और सप्तमेष का सम्बन्ध  आवश्यक है | और यदि  लग्नेश और सप्तमेश के साथ पंचमेश का  सम्ब्नध भी बनता है तो यह प्रेम विवाह होने की संभावना बढ़ा देता है | और इनका विवाहित जीवन  बहोत मधुर होता है |

प्रेम विवाह के लिए मंगल का मजबूत होना भी बेहद जरूरी है | प्रेम विवाह करने के लिए हिम्मत , साहस चाहिए और वह मंगल ही प्रदान कर सकता है |

चंद्र , शुक्र या मंगल कन्या की कुंडली में जिस राशि में बैठा है उस ही राशि में यदि पुरुष की कुंडली में  उसी राशि में चंद्र , शुक्र  या मंगल बिराजमान है तो उनके बीच आकर्षण  रहता है और प्रेम विवाह कर सकते है |

चतुर्थ  स्थान में शुक्र प्रेम विवाह करवाता है |

शुक्र मंगल , शुक्र राहु , शुक्र शनि की युति भी प्रेम विवाह करवा सकती है |

किन्तु शुक्र कमजोर हो और पाप ग्रह  से सम्बंधित हो तो प्रेम अधूरा रहता है , विवाह में परिवर्तित नहीं  होता है |

यदि यह ग्रह एकदूसरे की कुंडली में एक ही भाव में बिराजमान हो तो भी यह बात बन सकती है | 

जैसे की कन्या की कुंडली में तुला  राशि में शुक्र है और वर की कुंडली में तुला का मंगल है |  या  फिर कन्या में चतुर्थ भाव में शुक्र  और वर के चतुर्थ भाव में मंगल। 

लग्नेश – पंचमेश और सप्तमेश के साथ या  पहले, सातवे -और पांचवे भाव में सम्बन्ध होने से और  उन्ह पर शुभ ग्रहों का  प्रभाव होने  से प्रेम, विवाह में  परिवर्तित  हो सकता है |

यदि सिर्फ अशुभ  ग्रहों  का  प्रभाव हो तो प्रेम कम और काम और  आकर्षण  ज्यादा होता है , ऐसी स्थिति में विवाह हो नहीं  पाता  |

पंचम स्थान यदि दूषित है तो मनचाहा प्रेम नहीं  मिलता है  |

सप्तमेश या शुक्र  गुरु  से दृष्टित  है तो भी अच्छा जीवनसाथी मिलता है |

ज्यादातर शुक्र , चंद्र और मंगल की स्थिति से प्रेम विवाह  के बारे में बताया जा सकता है |

वैसे तो बहोत  कुछ  देखना रहता है हर एक कार्य में सभी ग्रहों  की हिस्सेदारी रहती है |

|| शुभम ||

यदि आपको जानना है आप का प्रेम विवाह  होगा की नहीं  तो आप हमसे CosmoCall  पे बात कर सकते है। 

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