डर

By Namrata Oza

शुभम

मैं  नम्रता  ओझा , आपके सामने फिर एक नया टॉपिक  लेकर आयी हूँ  | आशा करती हुँ  आपको यह पसंद आएगा |

हम सब ने सूना होगा यह छोटा शब्द और महसूस भी किया  होगा  डर  . भय (fear) यह शब्द तो बहुत ही छोटा है , किन्तु हमारे जीवन पर महत्तम प्रभाव डालता है | मैंने तो बहुत बार अनुभव किया है | आप सब ने भी किया होगा | किया है ना ??? तो चलिए आज इस  डर  के बारे में कुछ बाते करते है |सबसे पहले डर  क्या है ? मेरे मत अनुसार या तो मेरे अनुभव के अनुसार डर  ऐसी अनुभूति है जो हमें अनजान चीज़ो  से लगती  है  | यह ऐसी फीलिंग्स है जो अनजान और  बिना  अनुभव के   कार्य को करते हुए महसूस  होती है | हम सब ने  कभी ना कभी किसी ना किसी रूप से डर  को महसूस किया होगा |क्या डरना जरूरी है ??  वास्तव में डर  हमारी मन:स्थिति है | जब हम डर  का अनुभव करते है हम अपने हालात को या अपने भविष्य को सुधार नहीं रहे है बल्कि हम हमारे मन को हमारे हृदय को कमजोर, अस्वस्थ बनाते है | डर  लगना तो स्वाभाविक है किन्तु डर को अपने ऊपर हावी होने देना यह सही नहीं है | चलिए देखते है ग्रहो के प्रभाव और डर  का क्या सम्बन्ध है |

जैसे  हमने देखा कि  डर  हमारी मन: स्थिति है | डर  की भावना हमारे मन से जुड़ी  है | तो चंद्र  जिसे ज्योतिषशास्त्र  में मन का कारक  ग्रह  माना गया है , उसका यहाँ बड़ा  महत्त्व है |

चंद्र जिस व्यक्ति का कमजोर होता है , उनकी मन: स्थिति  खराब रहती है | भय का यह मुख्य कारण है | चंद्र यदि केतु , राहु या शनि जैसे ग्रहो के साथ युति प्रतियुति या किसी भी प्रकार से सम्बन्धित होता है तो जातक को भय या चिंता की अनुभूति होती है | शनि को दुख या तो भय का कारक माना गया है ।  जब  सूर्य यानि आत्मा और मंगल यानि साहस  इन दोनो का कमजोर होना या दुष्प्रभाव मे होता है  तब भी जातक को डर का अनुभव होता है । जब साहस की कमी हो या फिर आत्मविश्वास कमजोर हो तो कुछ भी कार्य करने मे हमे डर लगता है ।  जब चंद्रमा का शनि के साथ सम्बंध होता है व्यक्ति को अधिक ही चिंताशील बना देता है । हर एक कार्य मे डर की अनुभुती होती है ।  यह  जातक हर वक्त ताला लगाकर फिर  से सोचता है कि अरे मैंने ताला लगाया कि नहीं क्या यह  होता है आपके साथ  ??? जिन्हे एसा होता है उनके चंद्र पर शनि का प्रभाव  होता है ।  चंद्रमा का केतु के साथ का सम्बंध जातक को अकारण अंजान भय देता है। राहु के साथ का सम्बंध जातक को भ्रमित करता है । तो चंद्रमा एसे सम्बंधित होता है तो  जातक को छोटी छोटी बातोमे चिंता और भय का अनुभव होता है। 

जन्म कुंडली मे नहीं, परंतु गोचर मैं भी यदि ईन ग्रहो का जन्म के चंद्र के साथ सम्बंध हुआ तो उतना समय जातक को परेशानिया झेलनी पडती है । उतने समय मे हताशा , निराशा , भय और भ्रमणा को अनुभव होता है । यदि एसा है तो आप इनको  मजबूत बनाने के लिये  प्राणायम , मंत्र  जाप, यंत्र धाराण, कर सकते है । यह बात हुई ग्रहो के बारे मे । अब जानते है किस राशि वालो को कौन सा भय या तो चिंता सता सकती है ।

  1.   मेष  :

मेष राशि  के जातको को अपने समूह से अपने  नजदीकियों से दूर हो ने का डर  सताता  है  | अपने अंहकार को  ठेंस  पहुँचने  के विचार मात्र से उनको तकलीफ होती है | यह जातक अकेले रहने से डरते है । अपने आप को हारते  हुए देखना उन्हें  पसंद नहीं है |

2.  वृषभ  :

स्वभाव में यह जिद्दी  होते है | किसी भी  प्रकार के बदलाव से डर  लगता है | जल्दी बदलाव को पसंद  नहीं करते है |  आर्थिक स्थिति में  कमी की भी चिंता इनको परेशान करती है | कोई  उन्हे अनदेखा कर रहा है यह भी उनके लिए सोचने का  विषय बन जाता है |

3. मिथुन :

ज्यादातर अकेला रहाना पसंद नही करते अकेले रहने  से डरते है | निर्णयशक्ति की    कमी की वजह से  हमेशा  निर्णय  लेने के समय पर घबराहट महसूस करते  है | किसी का ignorance पसंद नही करते है । ज्यादातर बंधन मे बंधना नही चाहते । एक ही तरह का काम करना इन्हे  पसंद नहीं है  | बदलाव हर चीज़  में चाहते है |

4. कर्क :

ज्यादा भावनात्मक होने के कारण अपने नजदिकियो से  प्यार ना मिलने  का डर रहता है । अपनी दुनिया से बाहर निकलने  मे भी  इनको डर  लगता है । नई जगह पर जाना इनके लिये एक मुश्किल काम हो जाता है । वह अपनी दुनिया से, अपने दायरे से बाहर निकल कर कुछ करने मे घबराहट महसुस करते है ।

5. सिंह  :

सत्ता के शौकीन यह जातक अपनी सत्ता को खोने से डरते है । अपना अस्वीकार होना इन्हे विचलित करता है । उनकी बात न मानने पर भी यह लोग गुस्सा हो जाते है  । अपना वर्चस्व बना रहे एसी चाह हमेंशा मन मे रह्ती है और उसकी चिंता लगी रहती है ।

6. कन्या :

यह जातक हमेशा बड़ी ऊंची  उम्मीद लगाता है | और हंमेशा उसको पुरी करने के डर  में जीता रहता है | अपने आप की समीक्षा करता है | अपने ही दोहरे विचार के  चलते हमेंशा बुझा  बुझा  रहता है | सब कार्य में पूर्णता  लाने के  चक्कर में  खुद को परेशान करता रहता है | डर  होता है इनको  अपनी  ही उम्मीदों पे खरे   नउतरने  का | बहुत ही कम नजदीकी लोग  होते है इनके जीवन में।

7. तुला :

न्याय को प्रिय मानने  वाले यह जातक को हमेंशा  न्याय की चिंता सताती है  | भौतिकता  के आदी होते है  आराम और ठाठ  वाली जिंदगी को पसंद  करने वाले यह जातक को यह सब  ना मिलने  का डर  भी रहता है | सही न्याय करने का डर  भी इनके अंदर रहता है | साथ में गलत निर्णय ना लेले यह चिंता भी इनको सताती है |

8. वृश्चिक :

बहुत ही भावनात्मक होने के कारण , अपनी भावनाओं को जताने से डरते  है | अपने नजदीकियों से धोखा मिलने का  भय भी इन्हें   सताता  है | अपनी भावना  को छुपाने  के चक्कर में  कभी किसी से  बात करने से डरते  है | बहुत ही कम लोगे के एकदम करीब रहते है | कभी अपनी बातें – निजी बाते किसी से नही करते है  |  

9. धनु :

बहुत ही जोशीले होते है  और साथ में ज्ञानी होते है | हमेशा कोइ उसे कम ना समझे  उसी डर में रहते है | अपने आप को साबित करने की दौड  में लगे रहते है | यदि मनचाहा  मान सन्मान ना मिला तो बोखला जाते है | खुद को कम  ना समझे  कोइ इस डर  को साथ लिए चलते है | किसी की रोक टोक को पसंद नहीं करते | स्वतंत्रता  से काम करना पसंद करते है |                      

10. मकर:

यह लोग मेहनतु होते  हे साथ में आलसी भी होते है | अपनी मेहनत बर्बाद होना  इनको  बर्दाश्त  नहीं | इसीलिए  इनको  असफलता से डर  लगता है | अपने काम में असफलता मिलना इनको बौखला जाती है | अधिक बाहुबल होने के कारण  कार्य में कमी भी पसंद नहीं है |  अपना कार्य खुद  करना पसंद करते है |  दोस्ती हो या दुश्मनी बड़े  अच्छे से निभाते है |

11. कुम्भ:

इन जातको को पहचानना मुश्किल है |  अपनी सही सख्सियत किसी  के सामने ना आजाये , यह डर  रहता है उनके दिमाग में | शान्तिप्रिय होते है तो भीड़भाड़ वाली जगह पे जाने से बचते है | अपने विचारो के स्पष्ट  रूप से किसी  के सामने नहीं रखते है | अपनी कला को कौशल को दूसरे सामने उजागर करने में भी गभराहट  महसुस करते है |

12. मीन :

अपने  ही  आप में  मस्त रहने वाले  यह जातक को अपने विचारो से बहार निकलने  में डर  लगता है | अपनी  कल्पनाशक्ति से इन्होने अपनी अलग ही दुनिया बनाई  होती है | सही का सामना करने में परेशानी होती है | यह लोग भी भावनात्मक  होते है इस लिए किसी से जल्दी ही जुड़  जाते  है किन्तु फिर उनसे अलग  होने का डर  इन्हे  सताता है |  

डर से डरना नहीं है उससे  ऊपर उठना जरूरी है | अपने अंदर आत्मविश्वास  को भरलो और  ईश्वर का आभार व्यक्त कर के कोइ भी कार्य करो आपकी  जीत निश्चित  है |  इस लेख में लिखे ऐसे या फिर  किसी और चीज़  से आपको यदि डर  है तो अवश्य इसे निकलने का प्रयास कीजिए |

|| शुभम ||

12 Replies to “डर

  1. Good Explanation about fear for all Rashi. We have to keep our mond cool to hendle Chandra effects in our Kundali.

    Nice artical for some people’s who wants to build-up their confidance lavel in their critical life periods.

  2. Good Explanation about fear for all Rashi. We have to keep our mond cool to hendle Chandra effects in our Kundali.
    Nice artical for some people’s who wants to build-up their confidance lavel in their critical life periods.

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