- क्या कहे इस भाव को? आपका पराक्रम ? क्यों ?
- आपकी वृद्धि, आपका साहस, आपकी हिम्मत, आपका शारीरिक विकास इसके बिना अधूरी है।
- कुछ ज्योतिषीगण तृतीय भाव को इतना महत्व नही देते और फिर सवाल यही आता है की क्यों देखे तृतीय भाव को ? जबकि उसके बिना भी कुंडली मे परिणाम मिल सकता है।
- ज्यादातर जातक जीवनसाथी, अभ्यास, करियर, रोग, विदेश यात्रा विगेरे संबंधित सवाल का विवरण करवाने आते है।
- कुंडली का तीसरा भाव हमारे छोटे भाई बहन, हमारे शोर्य को दर्शाता है। रामायण तो हम सभी को ज्ञात है, रामायण मे छोटे भाई के सहयोग से ही तो भगवान श्री रामजी ने रावण से विजय हासिल की थी। हर जगह उनको अपने छोटे भाई का सहयोग प्राप्त हुआ था।
- आज के समय मे कुंडली के तीसरे भाव के विषय मे कोई जानना ही नहीं चाहता। परोक्ष रूप से इस भाव की व्याख्या जगह जगह की गई है। लग्न यानि प्रथम भाव को देखो तो तृतीय भाव को भी देखो।
- लेकिन क्यों?
- क्योंकि बिना पराक्रम से भाग्य कहा से बनेगा? भाग्य का विपरित भाव जो है, दोनो एक दूसरे के पूरक है। इसलिए यह घर हमारे जीवन में भाग्य के उतार-चढाव को भी दर्शाता है।
- अगर आपको अपनी प्रगति अपने दम पर करनी है तो तीसरा भाव बहुत ही महत्वपूर्ण है। आपको व्यापार करना है तो भी तीसरा भाव का महत्व है। जीवन के हर मोड पे साहस की महत्ता है। अगर आप मे कुछ करने का साहस ही नहीं है तो आप जीवन मे आगे ही नहीं बढ़ सकते।
- पराक्रम भाव के रूप में तो ये भाव बहुत प्रचलित है। जैसे योद्धा, सेनापति, राजा, पुलिस, सैनिक आदि के लिए तो ये भाव कितना जरूरी है। आप में कितना शौर्य या कितनी बहादुरी है उसका पता भी इसी भाव से लगता है, लेकिन यहां बहादुरी से मतलब है कि आप दूसरे की कहां तक सहायता करते है।
- ऐसे मे लग्नेश यहां आ जाये तो? तो क्या फिर तो जातक जिंदगी भर पराक्रम करते रहते हैं। चैन से नहीं बैठते। जातक साहसी तो होता ही है साथ मे उत्साही और स्फूर्तिला भी होता है।
- तृतीय भाव से पराक्रम, साहस, भावनात्मक इच्छाएं, वृद्धि, शारीरिक वृद्धि,गणित, छोटे भाई बहन, ज्योतिष,लेखन, छोटी यात्रा, करार, संचार(communication), पत्रकारिता आदि देखे जाते है। तीसरा भाव संचार माध्यम का कारक होने से आपका दूसरो के साथ कैसा व्यवहार हो सकता है? यह भी तो यही भाव दर्शाता है।
- कुंडली मे तीसरे भाव का कारक ग्रह मंगल है जो खुद एक साहसी ग्रह है।
- कुंडली के तीसरे भाव से जातक के जिम्मेदार होने, फर्ज निभाने, दुसरो की सहायता करने की हद का पता चलता है। वो आपकी अभिव्यक्ति का भी भाव है।
- कुंडली के भाव से देखे तो इस भाव को अपोकलिमं भाव, उपचय भाव, त्रिषढाय के नाम से भी जाना जाता है।
- जातक कितना मेहनती है, लेखन की क्षमता, मीडिया आदि को इस भाव में देख सकते हैं।
- तीसरा भाव हमारे शरीर के अंगों में हमारे बाजुओं का कारक है, और बाजू ही हमारी शक्ति या दूसरों के साथ लडाई झगडे आदि में काम आने वाले अंग हैं।
- इसके अलावा भी हम तीसरे भाव से कई सारी बाते पता कहती है। आपको आपकी कुंडली के तीसरे भाव के बारे मे जानना है तो हम से अपनी कुंडली का परामर्श करवा सकते हो।
शुभम |
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