कुंडली का पंचम भाव सबसे प्यारा भाव…..क्यों न हो ?
- प्रेम का भाव जो है,पूर्वजों का भाव जो है,पुत्र-पुत्री का भाव जो है फिर हमारे इष्ट देवता का भाव भी पंचम भाव है इनसे प्यारा और कौन है?
- पंचम भाव प्रेम का भाव क्यों मना जाता है?
तो उसके कई कारण है जैसे पंचम भाव हमारे हृदय से करीब का भाव है उसके उपरांत हमारे हृदय की इच्छा व्यक्त करना, हमारे हृदय के अंतर्भाव कैसे और किससे व्यक्त करना? कौन हमारे हृदय के नजदीक है ? जैसी गतिविधि को दर्शाता है।
- कुंडली के पंचम भाव का ये हिस्सा भावना पूर्ण रचनात्मकता को दिखाता है और साथ ही हमारी सर्जनशक्ति को भी दर्शता है।
- इसके अलावा पंचम भाव गर्भाधान या गर्भावस्था यानि की संतान संबंधित स्थिति को भी दर्शाता है। वैसे देखा जाए तो संतान को दुनियामे लाना भी एक सर्जनात्मक प्रक्रिया है और पंचम भाव संतान का भाव है ये तो सबको पता है।
- साथ ही पंचम भाव बुद्धि और ज्ञान का भाव जो है। हालांकि अपने ज्ञान और बुद्धि से ही हम सबका दिल जीत सकते है और पंचम भाव ये तय करेगा की आपकी बुद्धि कैसी है और आपकी ग्राह्य शक्ति प्रखर है। कोई घंटों पढ़ता रहता है तो कोई कम। आपकी शिक्षा कैसी रहेगी यह पंचम भाव से ही पता लगा सकते है।
- पंचम भाव का कारक ग्रह गुरु है इसलिए ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पंचम भाव को सीखने और समजने के भाव के तौर पर भी देखा जाता है। मतलब यह भाव किसी भी बात को ग्रहण करने की मानसिक क्षमता को दर्शाता है। वर्तमान युग में ज्ञान के विषय में कहा जाता है कि बिना ज्ञान के मनुष्य की दुर्गति होती है, तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी| इसलिए एक व्यक्ति अपने जीवन में कितना ज्ञानार्जन कर सकता है यह भी इस भाव से पता चलता है
- लग्न, पंचम व नवम भाव एक-दूसरे के साथ त्रिकोण बनाते हैं| यह भाव धर्मत्रिकोण के रूप में एक शुभ भाव है इसलिए हमारे आराध्य देवता या देवी भी पंचम भाव से देखे जाते है। पंचम भाव का संबंध हमारे इष्ट देव से होता है। हमे अपने जीवन मे किन देवी देवताओ की पूजा करनी चाहिए इसका ज्ञान पंचम भाव से मिलता है।
- कुलमिलाकर देखजाये तो पंचम भाव धर्म, बुद्धि, संतान, अभ्यास, पूर्वपुण्य, अचानक धन प्राप्ति, सट्टा, लॉटरी, प्रेम, मंत्र आदि को दर्शाता है। केवल यही नही, आप अपने जीवन मंत्र ज्ञान,मंत्र सिद्धि से अपना अध्यात्मिक विकास करने में कितना समर्थ है| अतः इसे मंत्र भाव कहना भी सर्वथा उपयुक्त है|
- ये तो हम सबको पता है की पंचम भाव लॉटरी-सट्टे का भी है, इसके अलावा पंचम भाव मनोरंजन का भी है।
- हमारे पूर्वज भी तो भी तो यही से देखेंगे। हम पर हमारे पूर्वजों का कितना आशीर्वाद है? पंचम भाव पितृ का भाव भी माना जाता है। पितृओ के आशीर्वाद से शायद वहीं मिलता है जो भगवान के आशीर्वाद से मिलता है।
कुंडली में पंचम भाव एक महत्वपूर्ण भाव है, यह आपके भूत-भविष्य का निर्धारण करता है।
हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यदि आप इस जन्म में अच्छे कर्म करते हैं तो इसका फल आपको अगले जन्म में अवश्य मिलेगा। इसलिए हम धर्म के रास्ता अपनाके अपने आगे के जन्म को सवाँर सकते है।
शुभम,
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સરસ જાણવા મળ્યું. આભાર
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