अशुभ हुआ तो क्यो हुआ ? लगता है शनि ने किया |
सोच आप कि है गलत , यह तो कर्मो का फल दिया ||
यह मानने से पहले कि शनि केवल अशुभ फल देते है , यह जानना महत्वपूर्ण है कि कुंडली में कोई भी ग्रह शुभ नहीं है और कोई भी ग्रह अशुभ नहीं है | अर्थात प्रत्येक ग्रह जातक कि जन्म कुंडली के अनुसार फल देता है | जन्म कुंडली में ग्रह कि स्थिति , किसी भी ग्रह पर अन्य ग्रहो का प्रभाव , यह निर्धारित करता है कि ग्रह कुंडली के लिए शुभ है या अशुभ | न ही कोई घटना सिर्फ एक ग्रह के आधार पर होती है | इसके लिए एक से अधिक ग्रह भी जिम्मेदार हो सकते है | जैसे एक व्यक्ति हल्के सामान को अपने स्थान से हटा सकता है , किन्तु कोई भारी वस्तु को स्थान परिवर्तन के लिए एक से अधिक व्यक्ति कि आवश्यकता होती है | शनि एक ऐसे शिक्षक है जिनका पढ़ाने का तरीका अलग है | वह पहले परीक्षा लेते है और फिर पढ़ाते है | सभी ग्रहो में शनि कि गति सबसे कम है अर्थात मंद है | एक राशि पूर्ण करने में सबसे अधिक समय शनि लगाते है | और हम देखते है कि मनुष्य , प्राणी याँ पदार्थ पर किसी एक का प्रभाव अधिक रहता है तो बदलाव तो होगा , वह शुभ भी हो सकता है और अशुभ भी | इसीलिए शनि का प्रभाव किसी भी व्यक्ति पर अधिक दिखाई देता है |
आम आदमी के अनुसार न्याय के देवता शनि है | लेकिन इसके पीछे के तथ्य को जानने की कोशिश कोई नहीं करता | किसी भी न्याय को करने से पहले उस अवसर को , व्यक्ति की सम्पूर्ण परीक्षा और सत्य और असत्य के बीच के अंतर को जानना आवश्यक है | तभी सच्चाई सामने आती है | यह समय सभी के लिए एक परीक्षा समान है , व्यक्ति को अधिक परिश्रम करना पड़ता है , और ऐसे आनेवाले समय के लिए कोई भी व्यक्ति मानसिक रूप से तैयार नहीं होता | तभी यह समय सबको कठिन लगता है | शनि एक ही राशि में ३० महिना रहते है | यह समय दूसरे ग्रह से अधिक है | और जब शनि की साढ़ेसाती ( ढैया ) आती है तो एक आम आदमी को भ्रम होता है कि उसके साढ़ेसात साल खराब जाएंगे | लेकिन ऐसा नहीं है | हाँ साढ़ेसात साल समय तो अधिक है और शनि इस समय व्यक्ति कि परीक्षा करते है |
बनाते या बिगाडते जो किस्मत सिर्फ शनि |
और ग्रह नहीं होते कुंडली में होते सिर्फ शनि ||
- शनि साढ़ेसाती ( ढैया ) के दौरान ऐसा क्या होता है जो इतनी परेशानी होती है ?
शनि साढ़ेसाती ( ढैया ) का फल समझने से पहले आइए शनि साढ़ेसाती ( ढैया ) को समझे | शनि साढ़ेसाती तब बनती है जब जन्म कुंडली के चंद्रमा के ऊपर से गोचर के शनि का भ्रमण हो | अर्थात जन्म कुंडली मे जहाँ चंद्रमा स्थित है ( जन्म राशि , चन्द्र राशि ) , उस से पिछली राशि ( बारहवीं ) में जब शनि प्रवेश करते है तब शनि साढ़ेसाती ( ढैया ) कि शुरुआत होती है | इस तरह चंद्रमा से पिछली राशि मे ढाई साल , जहाँ चंद्रमा स्थित है वहाँ ढाई साल , और चंद्रमा से आगे आनेवाली राशि के ढाई साल तो कुल हो गए साढ़ेसात साल | इसीलिए इसे साढ़ेसाती कहते है , और इसे ढैया भी कहते है | चंद्रमा सभी ग्रहो मे सबसे तेज ग्रह है | एक राशि पूर्ण करने में कम से कम समय लेते है | यहाँ एक संयोग हो रहा है सबसे तेज ग्रह के ऊपर से सबसे कम गतिवाले ग्रह का भ्रमण करना | शनि का ऐसा योग किसी अन्य ग्रह के साथ इतने लंबे समय के लिए नहीं बताया गया | शास्त्रो ने भी इसे चंद्रमा के साथ ही महत्व दिया है क्योकि , चंद्रमा ( मन ) चंचल है , इसका कोई बंधन नहीं है , सबसे तेज है , किसी भी स्थिति में सबसे जल्द और सबसे अधिक प्रभावित मन होता है | तभी साढ़ेसाती के दौरान व्यक्ति के मन और जीवन पर शनि का प्रभाव दिखना स्वाभाविक है | और दिखता भी है |
- अब यह समझना भी जरूरी है कि ऐसा क्यो होता है ?
आगे हमने देखा कि चंद्रमा क्या है | अब अगर हम शनि के बारे में जाने तो, शनि संयम , मंद गति , धैर्य , सटीकता , किसी भी घटना या अवसर की जड़ तक जाना , ये सारे शनि के गुण है जिसका प्रभाव साढ़ेसाती के दौरान दिखता है | शनि के एसे प्रभाव के कारण व्यक्ति मे बदलाव जरूर आता है | अगर किसी शरारती बच्चे के बगल मे कोई बुजुर्ग आके बैठ जाय तो बच्चा तब तक कुछ नहीं करता जब तक बगल मे बुजुर्ग बैठे है | जैसे ही वह बुजुर्ग बच्चे से दूर जाएंगे तो बच्चा फिर से शरारत करना शुरू करेगा | अर्थात चंद्रमा चंचल है उसपर जब शनि का प्रभाव आता है तो उसकी चंचलता पर संयम , धैर्य , दिखता है | और यह प्रभाव व्यक्ति की निजी जिंदगी में भी बदलाव लाता है | जैसे हमने आगे देखा कि कोई भी स्थिति के बदलाव के लिए एक ग्रह जिम्मेदार नहीं होता | शनि कि साढ़ेसाती के दौरान जन्म कुंडली के सूर्य और लग्न पर अधिक पाप ग्रहो का प्रभाव होता है तभी हमे अपनी मौजूदा जीवनशैली में कोई बड़ा अशुभ संकेत देखने को मिलेगा | हमने शनि कि साढ़ेसाती के दौरान काफी लोगो को अपनी जिंदगी कि बेहतरीन उचाई पर पहुँचते देखा है | और यह भी देखा है कि साढ़ेसाती के दौरान जो धन अर्जित किया है अर्थात आर्थिक उन्नति कि है वह जीवन में दीर्घ काल तक रहती है | उसका कारण है कि वह व्यक्ति के पसीने कि कमाई है , अर्थात परिश्रम से आया धन है | तो यह मानना बिलकुल ठीक नहीं कि शनि कि साढ़ेसाती में हमे खराब फल ही प्राप्त होगा | इसके लिए उपाय जरूरी है पर उपाय अपने आप करना ठीक नहीं | ज्योतिष से मार्ग दर्शन अवश्य ले और उनके द्वारा बताए उपाय के अनुसार ही करे , जैसे एक दर्द कि दवाई अधिक व्यक्ति के लिए अलग – अलग हो सकती है उसी तरह यहाँ उपाय भी अलग – अलग हो सकते है |
शनि साढ़ेसाती के दौरान कुछ सरल उपाय
- यहाँ पर हमारा मन प्रभावित हो रहा है तो ध्यान ( मेडिटेसन ) अवश्य करे | और ध्यान के दौरान चन्द्र मंत्र का स्मरण करे |
- हर शनिवार को जरूरतमन्द ( गरीब ) को वस्त्र , जूते ,खाने की वस्तु का दान करे |
- शनिवार को शनि देव के मंदिर मे दर्शन के लिए जाए |
- शनि मंत्र का स्मरण करे | ( नित्य 1 माला )
- हनुमान चालीसा पाठ नित्य करे |
- काले तिल के तेल याँ काले तिल कि बनाई रसोई ( मिठाई ) का सेवन करे |
अशुभ है क्या शनि ? यह सोचकर जो हालत आपकी बनी |
अगर किया परिश्रम आपने तो किस्मत आपकी अवस्य बनी ||
शुभम
मुकेश पटेल
शनी के बारेमें काफी अधिक जानकारी प्राप्त की
मैन में एक प्रस्थापित मान्यता थी की शनी हमेशा अशुभ फल देता है, वो दूर हुई।
धन्यवाद,
शुभम
Very informative. Please continue sharing knowledge.
You have explained nicely about Shani and Moon
Very informative post
Informative