शुभम
हमारी संस्कृति का सबसे बड़ा त्योहार है मकर संक्रांति | जब पोष मास मे सूर्य मकर राशि मे प्रवेश करता है | इसके लिए हम इसे मकर संक्रांति के नाम से जानते है | हम सब इसे उत्तरायन के नाम से भी जानते है | शायद किसी को प्रश्न हो के
सूर्य तो हर महीने राशि बदलता है तो यह राशि बदल ने मे एसा क्या है ??
चलिये थोड़ा जानते है इसके बारे मे , सूर्य छे महीने तक दक्षिणगोणार्ध और छे मास वो उत्तरगोणार्ध मे रेहता है | एसा माना जाता है की दक्षिणायन के समय मे देवो की रात्री का समय रेहता है और उत्तरायन देवो का दिन का प्रतीक है | तो जब सूर्य मकर राशि मे होता है तब उत्तरायन होता है | वैसे तो उत्तरायन दिसम्बर की 21 तारीख को होता है , जब सूर्य दक्षिण दिशा को छोड़कर उत्तर की और प्रस्थान करता है | देखा जाए तो उत्तरायन की शुरुआत के साथ सकारात्मक ऊर्जा की शुरुआत हो जाती है | और इसीलिए हम यह दिन को बड़े ही चाव से मानते है | इसके बाद रात्री छोटी और दिन लंबे हो जाते है | जब दिन लंबा होता है तो प्रकाश अधिक समय रेहता है | अंधकार से उजाले की और का यह सफर शुभ माना गया है |
उत्तरायन की पहली संक्रांति यानी मकर संक्रांति | धार्मिक कथा अनुसार यह समय भगवान सूर्यनारायण खुद अपने पुत्र शनि देव के घर उसे मिलने जाते है | कहा जाता है यह समय दान पुण्य करना उत्तम माना जाता है | सब ने सुना होगा महाभारत मे भीष्म पितामह ने अपने प्राणो का त्याग करने के लिए उत्तरायन की राह देखी थी | 14 जनवरी 2021 को पंचांग अनुसार सूर्य का धनु राशि को छोड़ कर मकर राशि मे दोपहर के बाद प्रवेश हो रहा है |
चलिये देखते है अपनी चंद्र राशि के अनुसार क्या दान करना उत्तम रहेगा |
मकर संक्रांति पर किन चीजों का करें दान
मेष | लाल वस्त्र , गेंहू, मसूर दाल , गुड का दान |
वृषभ | सफ़ेद वस्त्र , सफ़ेद तिल , चने का दान , कुलदेवी उपासना |
मिथुन | हरा वस्त्र , मूंग , काले तिल |
कर्क | सफ़ेद वस्त्र , चावल , दूध सफ़ेद तिल |
सिंह | केसरी (Orange) वस्त्र , गेंहू , गुड़ , सूर्य उपासना |
कन्या | हरा वस्त्र , मूंग दाल , खिचड़ी , काले तिल |
तुला | काला वस्त्र , शक्कर , सफ़ेद तिल , स्फटिक |
वृश्चिक | लाल वस्त्र , तिल , गुड़ , गणेश महाराज की उपासना |
धनु | पीला वस्त्र , गाय का धी , हल्दी , सफ़ेद तिल |
मकर | काला वस्त्र , काले तिल , तेल , कंबल |
कुम्भ | ब्लू वस्त्र , तिल , तिल , काले उड़द |
मीन | पीला वस्त्र , चने की दाल , सफ़ेद तिल ,गुड़ । |
इस समय दान पुण्य तप आराधना का अधिकफल मिलता है एसा माना जाता है | सामान्य तौर पे संक्रांति मे सूर्यदेव की उपासना , आराधना , सूर्यदेव को जल चढ़ना , गेंहू का दान , गुड का दान , तिल का दान , जरूरतमंद को कंबल का दान , या किसी भी रूप मे बढ़े बुजुर्ग की सेवा जरूरतमन्द को सेवा प्रदान करना उत्तम माना गया है | यह समय पवित्र स्नान यानि नदी मे स्नान, गंगा स्नान भी उत्तम माना गया है |
आप अपनी यथाशक्ति अनुसार कुछ भी दान कर सकते है , मन से , भाव से और एक हाथ से दान करो तो दूसरे हाथ को पता नही चलना चाहिए , एसे दान करो |
ख्याल रहिए आप जब किसी की भलाई कर रहे हो तो आप को उसका फल अवश्य प्राप्त होता है | अपने परिवारजनों को खुश रखना , किसी का बुरा नही करना , सब से मिलजुल कर रहना , किसी जरूरियातमंद की मदद करना यह सब एक दान ही जो हमारे जैसे लोग हमेशा करते है | प्यासे को तो एक बूंद भी बहोत लगती है | तो आप अपनी इच्छाशक्ति और यथाशक्ति के अनुसार दान करे और नेक कार्य मे पुण्य प्राप्त करने के भागीदार बने |
Very Good Information and as per dan
Daxina, Punya , very nice guide line.
Thank You Very Much.
Shubham
Very useful information
Very informative
Good information! Share to my friends 😌
ખૂબ જ ઉપયોગી માહિતી છે. Nice work