तिथि की कहानी: भाग 1 | The Story of Tithi: Part 1

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By Namrata Oza

शुभम,

हमारी संस्कृति विज्ञान और धर्म का समन्वय है | यह बहोत ही बार आपने सुना होगा या महसूस किया होगा | शायद हमारे यहा धर्म को जोड़ कर सब चीज़ करते है ताकी हम दिल से उस चीज़ से जुड़ सके | जैसे आयुर्वेद मे दिया हुआ खाने पीने का तरीका देखो या फिर हमारे सब त्योहार के समय उपवास व्रत वगेरह देख लो |

तिथि क्या है ???? नाम तो सुना होगा ???  उपवास या व्रत के समय तिथि को याद करते है | जैसे एकादशी , करवा चौथ , गणेश चतुर्थी , शादी करनी है , वैसे तो हम सब तिथि को मानते है , सुनते है , मुहूर्त मे हम इसका उपयोग करते है | किन्तु हम मे से बहोत सारे लोग है जो ठीक तरह से तिथि के बारे मे जानते नहीं है |

यदि आपने मेरा चंद्रमाँ का लेख पढ़ा हो तो उसमे मेने बताया है की तिथि सूर्य और चंद्रमा के बीच का अंतर है | आपने  यह भी सुना होगा की आज तो यह तिथि नहीं है, या दो तिथि साथ मे है या , एक तिथि दो दिन आती है , पर क्या सच मे दो – दो तिथि आती है या एक तिथि गायब हो जाती है ??? चलिये आज थोड़ा और जानते है तिथि के बारे मे |

सूर्य से जब चंद्र 12 डिग्री आगे जाता है तब एक तिथि बनती है | हमारे यहा पे एक मास मे 30 तिथि होती है | 1-15 शुक्ल पक्ष और 16-30 कृष्ण पक्ष15वी तिथि को हम पुर्णिमा के नाम से जानते है | और 30 मी तिथि को हम अमावस्या के नाम से जानते है | खोगलीय बात करे तो पुर्णिमा के दिन सूर्य और चंद्र एक दूसरे से 180 डिग्री पे होते है । एकदम सामने और अमावस्या के दिन वो दोनों एक साथ यानि के 0 डिग्री पे होते है |  एक तिथि 20 से 27 घंटे मे पूरी होती है |

तिथि के नाम

 1 प्रतिपदा

 2  द्वितीया

 3 तृतीया

 4 चतुर्थी

 5 पंचमी

 6 षष्ठी

 7 सप्तमी

 8  अष्ट्मी

 9 नवमी

10 दशमी

11 एकादशी

12 द्वादशी

13 त्रयोदशी

14 चतुर्दशी

15 पूर्णिमा

30 अमावस्या

हमारे यहा पे कोई कोई राज्य मे पुर्णिमा के बाद नया मास आरंभ करते है , कोई राज्यो मे अमावस्या के बाद नया मास आरंभ करते है |  

जानते है क्षय तिथि और वृद्धि तिथि के बारे मे |

  •  क्षय तिथि :

ध्यान से समजिए जो तिथि एक भी सूर्योदय देखती नहीं है है उस तिथि को क्षय तिथि कहते है |

उदाहरण से समजते है जैसे  द्वितीया तिथि सूर्योदय के बाद शुरू हुई मानलों सुबह 8 बजे  और वह द्वितीया तिथि दूसरे दिन सुबह सूर्योदय से पहले समज लो सुबह 5 बजे  खतम हो गई तो यह तिथि का क्षय हो गया एसे बोलते है | मतलब द्वितीया तिथि का क्षय हो गया |  तो द्वितीया तिथि हो गई क्षय तिथि |

  • वृद्धि तिथि :

     यदि  तिथि दो सूर्योदय देखती है तो उस तिथि को वृद्धि तिथि कहते  है |

      जैसे  अगर यह तृतीया तिथि सूर्योदय से पेहले बैठ गई और दूसरे दिन सूर्योदय तक चल रही थी तो उसको बोलते है वृद्धि तिथि । तृतीया ने दो सूर्योदय देखा तो उस तिथि की  वृद्धि हो गई | तृतीया तिथि वृद्धि तिथि हो गई |

अब आप समज गए होगे के कोई तिथी दो बार नहीं आती है या तो कोई तिथि कही चली नई जाती है | हम सब ग्रेगोरियन कलंडर का उपयोग करते है तो हम बोलते है की यह तारीख को दो तिथि आ गई | वेस्टर्न कलंडर से हम लोग इतने जुड़ गए है की हम हमारा कलंडर भूल ही गए है | क्या आप मे से कोई आपका जन्म दिन तिथि के हिसाब से मनाते हो ??? क्या आप मे से कोई हररोज तिथि देखते हो ??? हम सिर्फ त्योहारो को मनाने के टाइम पे ही तिथि को महत्व देते है | 

चलिये आज से , अभी से हम सब प्रयत्न करते है और हररोज तिथी देखते है | 

आशा करती हु की आपको यह लेख पसंद आया हो | इसके बाद दूसरे तिथि के लेख मे  तिथि के  बारे मे और रोचक जानकारी प्राप्त करेंगे |

शुभम

2 Replies to “तिथि की कहानी: भाग 1 | The Story of Tithi: Part 1

  1. Good explanation 👏
    આપણે ખરેખર western calender ને કારણે આપણું હિન્દુ કેલેન્ડર ભૂલી ગયા છે

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