द्वितीय भाव: मौके का द्वार – Second House: The Door of Opportunities

– Sarika Mehta

शुभम,

पुरातन काल मे मोक्ष मानव जीवन का परम ध्येय माना जाता था और तब ही मानव देह की सार्थकता समजी जाति थी। कुटुंब, धन, संपत्ति आदि को जीवन के सत्य की राह मे बाधक माना जाता था। ज्योतिष का प्रयोग भी भगवत प्राप्ति के माध्यम की तरह किया जाता था।

किन्तु आज के समय मे धन के बिना जीवन की कल्पना भी असंभव नजर आती है। इसलिए आज के युग मे द्वितीय भाव का बहुत अधिक महत्व है। द्वितीय भाव से चर संपत्ति का विचार किया जाता है। इसलिए इसे अर्थ त्रिकोण का भाव भी कहते है।

कुंडली के बारह भावो मे से द्वितीय भाव को कुटुंब भाव और धनभुवन   के नाम से जाना जाता है। यह भाव धन से संबंधित मामलों को दर्शाता है। इसके अलावा वैदिक ज्योतिष मे द्वितीय भाव से चहेरा, दाई आँख, वाणी, भोजन, गायन, प्रारंभिक शिक्षा और आशावादी द्रष्टिकोण आदि को दर्शाता है। इसके अतिरिक्त जातक के द्वारा जीवन मे अर्जित किए गए स्वर्ण आभूषण, हीरे, और बहु मूल्य पदार्थ का भी बोध करता है।किन्तु ये द्वितीय भाव केवल धन और बहुमूल्य पदार्थों तक ही सीमित नही है  यह भाव जातक के जीवन मे और भी बहुत से क्षेत्रों के बारे मे जानकारी देता है।

हमारा जन्म लग्न भाव से होता है तो फिर पालनपोषण भी तो जरूरी है। द्वितीय भाव परिवार का है और पालनपोषण परिवार से होता है। इसलिए द्वितीय भाव जातक के बचपन के समय परिवार मे हुई परवरिश तथा उसका मूलभूत शिक्षण के बारे मे भी जानकारी देता है। किसी भी जातक के बाल्य काल मे होने वाली घटनाओ के बारे मे जानने के लिए यह भाव का अध्ययन करना चाहिए। इसलिए यह पालनपोषण का भाव है अब चूंकि ये पालनपोषण अपना हो या दूसरों का यही से देखेंगे।

द्वितीय भाव का कारक ग्रह गुरु है। और द्वितीय भाव वाणी का भी है तो जातक की वाणी तथा उसके बातचीत करने के कौशल के बारे मे भी जान सकते है।  कुंडली मे जैसी राशि, जैसा ग्रह, उस प्रकार की वाणी रहेती है। शुभ ग्रह है तो मीठी वाणी और पाप ग्रह है तो कटु वाणी। वो कहते है ना, की इसकी जीवहा पे सरस्वती देवी बैठी है। कुंडली मे शुभ और सौम्य ग्रहों के द्वितीय भाव पे प्रभाव से ही सरस्वती देवी मेहरबान होती है। और जहा सरस्वतीजी  है वहा लक्ष्मीजी का भी वास होता है। इसलिए जब आप अपनी जीवहा पे अंकुश रखोगे और मीठी जुबान बोलोगे लक्ष्मीजी को आमंत्रण दे पाओगे। फिर जीवन मे आगे बढ़ने के मौके मिलते रहेंगे।

One Reply to “द्वितीय भाव: मौके का द्वार – Second House: The Door of Opportunities”

  1. शुभम 🙏🙏
    सरीता मेडम, आपने बहुत ही सरल और सुंदर तरीके से कुंडली के सभी भावों के बारे में जानकारी दी।

    ऐसे ही ज्ञान की गंगा बहाते रहीए,

    नम्रता मेडम, आपने भी राहू और केतु ग्रह के बारे में अलग ही पहलू उजागर किया है।

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