नहीं किया कुंडली मिलान तो होता क्या है ?
कष्ट आएंगे अपार उसमे, तू रोता क्या है ?
क्या लेकर आया था , तू खोता क्या है ?
वही पाएगा जीवन में , तू बोता क्या है ?
समझ के कर कुंडली मिलान तेरा जाता क्या है ?
फिर देख जीवन मे आगे , तू पाता क्या है ?
आज का युवा वर्ग हर कोई कार्य करने से पहले उसके बारेमे पूरी मालूमात करता है | पर शादी, जिसके साथ करनी है , जिसके साथ जिंदगी के सबसे ज्यादा साल बिताने है , अँग्रेजी में जिसे ‘ LIFE PARTNER ‘ कहते है यानि अपनी जिंदगी का आधा हिस्सेदार , उसके साथ ५ – १० मिनट कि बात से या उसे देखने से हा याँ ना बोलना उचित नहीं है | कही न कही कुंडली मिलान मे अभी भी युवा वर्ग का झुकाव कम है | इसी कारण से कई बार शादी के बाद अनेक समस्याओ का सामना करना पड़ता है और बात बहुत आगे निकाल जाती है जिसका परिणाम अनिच्छनिय होता है | आम आदमी गुण मिलान और मंगल दोष को ही कुंडली मिलान समझते है , ऐ सोच ठीक नहीं | उसिकों समझने का प्रयत्न आज हम करेंगे |
कुंडली मिलान को समज ने से पहले हम शादी क्या है ? शादी क्यो कि जाती है ? इन प्रश्नो का उत्तर समझते है | सामाजिक व्यवस्था और रितरिवाज को ध्यान मे रखते हुए संतान प्राप्ति हेतु लड़का और लड़की का मिलान अर्थात शादी | साथ मे नए संबंध स्थापित होते है जिसे दोनों को मिलकर ज़िम्मेदारी से निभाना है | यहाँ एक दूसरे के प्रति दोनों के विचार और व्यवहार को भी देखा जाता है | भारतीय संस्कृति में तो शादी को सोलह संस्कार में से सर्वश्रेष्ठ माना गया है | अत: उसका महत्व अपने आप बढ़ जाता है |
जीवन दिया ऊपर वाले ने , वह हाथ नहीं था मेरे |
कुंडली मिलान हाथ है मेरे , तभी लूँगा शादी के सात फेरे ||
संसार में जन्म लेना मनुष्य के हाथ मे नहीं होता है , कब जन्म लेना ? किसके वहाँ जन्म लेना ? और उस समय के ग्रहो कि स्थिति को कैसे बनाए , ऐ सारी बाते मनुष्य के हाथ में नहीं है | किन्तु शादी को ‘ लग्न जीवन ‘ कहा गया है , अर्थात यहाँ से एक लड़का और लड़की कि नई जिंदगी कि शुरुआत होती है | हमारे सोलह संस्कार में से किसी भी संस्कार को जीवन से नहीं जोड़ा है , किन्तु शादी – लग्न को ‘ जीवन ‘ से जोड़ा है | यही वह समय है जहाँ से उनकी नई शुरुआत होती है | भारतीय संस्कृति में शादी के समय मंत्रोच्चार से दोनों पात्रो के आत्मा और मन को एक किया जाता है , जिससे दोनों एक होकर नई जिंदगी कि शुरुआत करते है , उसी को शादी – ‘ लग्न जीवन ‘ कहते है |
कुंडली मिलान से होनेवाले लाभ
कुदरत – प्रकृति ने हमें जीवन दिया है | शादी के बाद भी एक नए जीवन कि शुरुआत होती है | जब हमने जन्म लिया तब हमारे हाथ में कोई विकल्प नहीं था वह सब कुदरत के आधीन था | किन्तु लग्न जीवन कि शुभ शुरुआत के लिए तो हमारे पास एक से अधिक विकल्प मौजूद है | जो एक लड़का याँ लड़की को अपने नए जीवन को सुंदर बनाने मे मदद करता है | अपने जीवनसाथी और बच्चो का जीवन आसान और अधिक सफल , उत्तम बनाने में भी मदद करता है |
व्यक्ति को अपने जन्मदाता का चुनाव करने का कोई अधिकार नहीं और अनुमति या समय भी नहीं है | पर विवाहित जीवन में जीवनसाथी चुनने का कोई बंधन भी नहीं , जिससे अपने योग्य पात्र का चुनाव व्यक्ति खुद कर सकता है | और यह सिर्फ कुंडली मिलान से ही संभव है , तभी कुंडली मिलान एक अति महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है | जो अच्छे चरित्र अर्थात सु-योग्य पात्र का चयन करने का अवसर प्रदान करता है | और यहा तक कि अपने लिए अति उत्तम पात्र का चयन करके अपना विवाहित जीवन अर्थात ‘ लग्न जीवन ‘ भी निर्विवाद रूप से अच्छे से सर्वश्रेष्ठ बनाता है |
हमे अपने समाज को स्थिरता प्रदान करनी है तो उसे एक संस्कारी , स्वस्थ , तंदूरस्त , ज्ञानी , शक्तिशाली , निष्ठावान , जैसे अनेक गुणो से पूर्ण संतान उत्पती की आवश्यकता है | हम मानते है की सर्व गुण संपन संतान प्राप्त करना मुश्किल है , किन्तु असंभव नहीं | यह तभी संभव है जब एक उत्तम कन्या का मिलान उसके अनुरूप उत्तम वर से हो और उनसे जो संतान प्राप्त होती है उसमे अधिक गुण अवस्य होते है | जो अपने परिवार और नए समाज का निर्माण कर सकते है | अर्थात उत्तम संतान प्राप्ति हेतु कुंडली मिलान की आवश्यकता है |
विवाह की इच्छा रखने वाले दोनों पात्र को एक दुसरे का ज्ञान नहीं है जैसे की उनका स्वभाव , सोच , शारीरिक क्षमता , आजीविका , चिकित्सा ( मेडिकल ) , आगे आनेवाला समय उनके लिए कैसा है , संतान प्राप्ति , और एसे कई प्रश्नो का उत्तर जो हम बातों से नहीं जान सकते वह सब हमे कुंडली मिलान से प्राप्त होता है |
कुंडली मिलान नहीं किया तो क्या होगा ?
विवाह कि सोच रखने वाले सभी व्यक्ति को कुंडली मिलान करना आवश्यक है | आज कि भाग दौड़ भरी जिंदगी में रिश्ता निभाना और रिश्ता टिकना यह अधिक मुश्किल है | जो रिश्ता टिकता है उसमे मिठास नहीं होती , वही जिनकी विवाहित जिंदगी चल रही है उनके अपने पारिवारिक प्रश्न भी होते है जो दोनों कि सोच अलग होने से भी सामने आते है , अधिक प्रश्न कुंडली मिलान के समय ही हम टाल सकते है | आगे वैवाहिक जीवन में पुरुष और स्त्री को संतान प्राप्ति का प्रश्न भी होता है | संतान प्राप्ति होती है तो भी कभी-कभी संतान मानसिक रूप से अस्वस्थ या कुपोषण आदि जैसे सवालो के साथ बच्चे का जन्म होना | और एसे कई सवालो के माध्यम से वर-वधू कि विवाहित जिंदगी में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कई समस्याओ का सामना करना पड़ता है | और उस वक्त हम पता नहीं लगा सकते कि सबसे बड़ी समस्या क्या है , या वह समस्या क्यो हुई है | एसी कई समस्याओ को हम आनेवाले जीवन मे कुंडली मिलान से दूर कर सकते है |
कुंडली मिलान समस्या से पहले समाधान |
आम आदमी कि सोच से कुंडली मिलान का मतलब है सिर्फ गुण मिलान | कुंडली मिलान मे लड़का और लड़की कि कुंडली में सर्वाधिक ३६ गुण होते है | और ३६ में से जीतने अधिक गुण मिलते है उतना अच्छा , यह सोच आम आदमी कि है | किन्तु ऐसा नहीं है , गुण मिलान तो कुंडली मिलान का सिर्फ एक हिस्सा है और उसके अलावा भी कई बातों को देखा जाता है | कुंडली मिलान में ऐ नहीं देखा जाता कि किसकी कुंडली खराब है किन्तु यह देखा जाता है कि कोई भी एक कुंडली दूसरे के योग्य है या नहीं | दो अलग-अलग परिवार में जन्म लेनेवालों कि सोच एक जैसी हो यह होना स्वाभाविक नहीं है , दोनों के विचार अलग-अलग हो सकते है , पसंद – ना पसंद , आदते , कार्यशैली , शारीरिक एवं मानसिक स्थिति और इसके अलावा भी बहुत कुछ , यह सारी बाते केवल एक ज्योतिष ही कुंडली के माध्यम से जान सकते है और उन दोनों का सही मिलान भी कर सकते है |
शादी के बाद किसी भी बात पर निर्णय लेना हो तो दोनों पात्र की सम्मति होना उचित है | और यह तभी संभव है जब दोनों के विचार – सोच एक जैसी हो | मिलकर लिए गए निर्णय से प्रगति का मार्ग अवश्य खुलता है | अधिक सामाजिक, पारिवारिक समस्याओ के मूल मे आपसी वैचारिक भिन्नता ही देखने को मिलती है | जिससे खुद कि , परिवार कि और समाज कि प्रगति मे बाधाए आती है | कुंडली मिलान में इससे भी अधिक बातों का ध्यान रखा जाता है | अत: कुंडली मिलान एक सही उपाय है , आनेवाली समस्याओ से समाधान पाने का |
विशेष :-
- गुण मिलान मे यदि ३६ में से ३६ गुण मिलने पर भी अभ्यास मे आया है कि उनका वैवाहिक जीवन सफल नहीं रहा | कई जगह तो लग्न विच्छेद भी देखा गया है | अत: सिर्फ गुण मिलन ही कुंडली मिलान नहीं है |
- गुण मिलान में यदि कम से कम गुण भी मिले है फिर भी उनका वैवाहिक जीवन अभी सफल चल रहा है | अर्थात कम गुण मिलने पर उनका कुंडली मिलान ठीक नहीं , यह बोलना ठीक नहीं |
- गुण मिलान मे नाड़ी को सर्वाधिक गुण ( ८ ) मिले है | अत: नाड़ी का महत्व अपने आप बढ़ जाता है |
- गुण मिलान के समय यदि नाड़ीदोष दिखता है तो यह विचार योग्य है |
- मंगलदोष से किसी कि शादी रुक गई या नहीं होती यह सोच गलत है |
- मंगलदोष केवल शादी के समय ध्यान मे लिया जाता है नहीं कि अभ्यास , कार्यक्षेत्र , व्यापार , बीमारी आदि के समय |
- कुंडली मिलान हेतु ज्योतिषीय मार्गदर्शन जरूरी है |
प्रश्न होना उचित है पर कभी संसय मत लाना |
कुंडली मिलान जिसने किया उसके जीवन मे खुशी को है आना ||
शुभम
मुकेश पटेल
Perfect knowledge
कुंडली मिलान क्या है, क्यो करना चाहिए और कैसे करना है, उसके बारें में विस्तार पूर्वक बताया है। पढ़कर बहुत ही जानकारी प्राप्त हुई।
धन्यवाद