सफलता कि कुंजी ‘चंद्रमा’ | Moon: The Key to Fortune

सफलता कि कुंजी 'चंद्रमा' | Moon: The Key to Fortune by Mukesh Patel

By Mukesh Patel

चाँद है प्यारा, चाँद है न्यारा, चाँद है सुंदरता का प्रतीक |

चाँद से राशि, चाँद से साढ़ेसाती, चाँद से हो फलकथन सटीक ||

चंद्रमा ( मन ) क्या है ?

             ज्योतिष शास्त्र में सभी ग्रहो को मनुष्य शरीर के अलग-अलग अंगो का कारक बताया है | अर्थात कुंडली में ग्रहो के प्रभाव के अनुसार मनुष्य के शरीर पर उसका प्रभाव रहता है |  चंद्रमा को   ‘ मन ‘ का कारक कहा है | अत: यह तो स्वयं ही चंद्रमा का महत्व सिद्ध करता है | मनुष्य शरीर मे सर्वोच्च स्थान ‘ मन ‘ ( MIND ) का है | एक और बात , सभी अंगो को आदेश भी यही देता है | हमारे निंद्रावस्था के दौरान भी यह कार्यरत रहता है | किसिभी अंग कि कमी हो किन्तु जिसका मन मजबूत होता है सफलता कि कुंजी उसके हाथ अवश्य लगती है | मन की शक्ति अनंत है , सबसे तेज है | जहाँ कोई नहीं पहुँच सकता वहाँ मन अवस्य पहुँच जाता है | देश-विदेश , अन्तरिक्ष कही भी पलक झपकते पहुँच जाता है | बिना हाथ – पाँव का व्यक्ति अच्छा तैराक भी बन सकता है , शारीरिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति ने खेल मे , ओलंपिक मे अपने देश का नाम रोशन किया है एसे कई  उदाहरण भी हमारे सामने है | अन्य अंगो कि अनुपस्थिति हो पर केवल मन का साथ हो और मेहनत करे तो कार्य सिद्धि अवश्य मिलती है  | अर्थात मन से व्यक्ति इतना प्रभावित है तो चंद्रमा का महत्व अपने आप बढ़ जाता है |  जिस व्यक्ति का अपने मन के ऊपर नियंत्रण है उसे अन्य इंद्रियो को वश मे करने मे अधिक समय नहीं लगता |   निम्नांकित उत्तम उदाहरण है ,,,,,,,,,,,

  • हमारे ऋषिमुनी अधिकतम समय योग और ध्यान में ही व्यतीत करते थे |
  • स्टीफन हौकिंग एक विश्व प्रसिद्ध भौतिक विज्ञानी ( ब्रह्माण्ड विज्ञानी )
  • दीपा मलिक विकलांग भारतीय खिलाड़ी ( पैरालम्पिक में रजत पदक , अन्य कई खेल में स्वर्ण पदक प्राप्त किए है | )

 सपने देखो शेखचिल्ली मत बनो , मेहनत करेगा वह कुछ पाएगा |

मन, मनोबल मजबूत जिसका , जीवन मे अवश्य आगे आएगा  ||

चंद्रमा ( मन ) और उसका प्रभाव…

             सौर मंडल में सभी ग्रहो में सबसे तेज चंद्रमा है | एक राशि पूर्ण करने मे सबसे कम समय चंद्रमा को लगता है | चंद्रमा पृथ्वी का उपग्रह है और सबसे नजदीक है | अत: उसका प्रभाव मनुष्य जीवन पर होना स्वाभाविक है | विज्ञान ने कुछ साल पहले माना कि चंद्रमा का प्रभाव पृथ्वी पर होता है | जबकि हमारे सुपर सायंटिस्ट ऋषिमुनी एवं ज्योतिषाचार्यों ने तो हजारो वर्षो के पूर्व ही बता दिया था कि पृथ्वी पर अन्य ग्रहो में से सबसे अधिक और जल्द प्रभाव चंद्रमा का है | आदि काल से हम सुनते और देखते आए है कि चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण कि घटनाए बनती है और उसका प्रभाव भी दिखता है | माह के दो दिन पूर्णिमा एवं अमावस्या के दिन चंद्रमा का प्रभाव तो आंखो देखा है ही | पूर्णिमा के दिन समुद्र का जल स्तर बढ़ता है और अमावस्या के दिन समुद्र का जल स्तर घटता है | इस बात को भी विज्ञान ने कुछ साल पहले ही माना पर इस बात का प्रमाण तो हमारे वैदिक ग्रंथो में है जो हजारो वर्ष पूर्व लिखे गए है | मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति पर भी पूर्णिमा एवं अमावस्या के दिन प्रभाव दिखता है |

                          विषयों का चिंतन करने वाले मनुष्य की उन विषयों में आसक्ति हो जाती है। आसक्ति से उन विषयों की कामना उत्पन्न होती है और कामना में विघ्न पड़ने से क्रोध उत्पन्न होता है। क्रोध से मूढ़ता और बुद्धि भ्रष्टता उत्पन्न होती है। बुद्धि के भ्रष्ट होने से स्मरण-शक्ति विलुप्त हो जाती है, यानी ज्ञान शक्ति का नाश हो जाता है। और जब बुद्धि तथा स्मृति का विनाश होता है, तो सब कुछ नष्ट हो जाता है।–गीता (अध्याय 2/62, 63)

                    व्यक्ति के साथ अनेक समस्याए जुड़ी रहती है और उनमे से अधिकतम समस्याए बुद्धि , विचार , सोच , व्यवहार , वाणी , स्वभाव , कामना , क्रोध से ही उत्पन होती है | यह कथन मेरा नहीं गीता मे भी लिखा है , जो ऊपर युक्त है  | यह सब मन से जुड़ी बाते है | सामाजिक , व्यापारिक , आर्थिक , शारीरिक , मानसिक और अनेक समस्याओ के पीछे भी हम चंद्रमा ( मन ) का प्रभाव बखूबी देखते है | चंद्रमा एक माह मे सभी ग्रहो से योग करता है तो स्वाभाविक है कि सभी दिन अच्छे नहीं रहेंगे | और जो दिन आपकी सोच से विपरीत हो उस दिन आपको अपने मन को संभाल ना होगा यह तभी संभव है जब आपने योग , प्राणायाम , ध्यान में मन केन्द्रित किया हो |  

धन मिला तो क्या गुरु – शुक्र से ? अमंगल हुआ तो क्या शनि – भोम से ?

सफलता की कुंजी कहती है , नहीं मिलेगा कुछ बिना सोम से ||

चंद्रमा का कुंडली में प्रभाव…

                    जैसा हमने आगे देखा कि कोई भी कार्य करना हो तो अन्य अंगो के साथ मन कि उपस्थिती आवश्यक है , उसके साथ साहस और तीव्र इच्छा जुडने से सफलता अवश्य हाथ मे आती है | वैसे ही कुंडली में  कोई भी ग्रह का विधि-विधान , पूजा , उपाय आदि करना हो तो चंद्रमा कि उपस्थिती अति आवश्यक है | अर्थात चंद्रमा का बल और स्थिति को जाने बिना कोई भी पुजा-पाठ अधूरा है | उसी तरह जैसे सभी शुभ कार्य में प्रथम पूजनीय गणेशजी है वैसे ही कुंडली में प्रथम स्थान चंद्रमा को देना आवश्यक है | कुंडली मे फलकथन कि अधिक पद्धति में चंद्रमा को स्थान मिला है जिससे सटीक फलकथन होता है | हमारी जन्म राशि , जन्म नक्षत्र , शनि पनोती , महादशा , ताराबल , मुहूर्त , गोचर , दैनिक-साप्ताहिक फलकथन , कुंडली मिलान , पंचांग ( तिथि , नक्षत्र , योग , करण )  इन सब फलकथन कि पद्धति के मूल में चंद्रमा है |  यहा तक कि राहू-केतू के अस्तित्व मे भी चंद्रमा का योगदान है | लग्न कुंडली के बराबर का स्थान चन्द्र कुंडली को दिया जाता है , और फलकथन के दौरान चन्द्र कुंडली से स्पष्ट उत्तर भी प्राप्त होता है | एक राशि चक्र पूर्ण करने मे चंद्रमा को एक माह का समय लगता है और इस दौरान चंद्रमा सभी ग्रहो के साथ योग बनाता है | जिस ग्रह  के साथ चंद्रमा का योग बनता है , कुंडली के अनुसार व्यक्ति का मन , विचार , सोच वैसी होने कि संभावना बढ़ जाती है क्योकि चंद्रमा पर जल तत्व का प्रभुत्व अधिक है और जल को जिस पात्र मे डालो वैसा होना उसका स्वभाव है |

                    नहीं बिगाड़ेंगे कुछ पनोती में शनि

                        अगर जो चाँद से आपकी बात बनी |

                  नहीं बिगड़ेंगी आपकी महादशा

                        अगर चाँद आपके मन में बसा ||

विशेष :-

मनुष्य जीवन के तीन प्रमुख साधन है तन ,,,,,मन,,,,,,,आत्मा ,,,,इन तीनों को चलने के लिए खुराक कि आवश्यकता है | तन कि खुराक है ‘ भोजन ‘ जो हम नित्य ग्रहण करते है | मन कि खुराक है ‘ ध्यान ‘ जो हम शायद करते है | आत्मा कि खुराक है ‘ भक्ति, पूजा-पाढ़ ‘ उसका तो समय ही नहीं मिलता |

  • दैनिक जीवन में तन को परिश्रम अधिक लगता है तो भोजन दिन में एक से अधिक बार चाहिए |
  • मन शांति के लिए दिन मे प्रभात काल मे एक बार ध्यान किया जाय तो बेहतर है |
  • आत्मा को तृप्त करने के लिए परमात्मा से जुड़ना आवश्यक है , वह भक्ति है |

                    निश्चित मिलेगा हार जो मन से होगा वार |

                  निश्चित मिलेगी हार जो मन पे होगा वार ||

  • 1 हार – माला ( परितोषिक , बहुमान , सम्मान , सफलता )
  • 2 हार – पराजय ( असफलता , अपमान )

क्या करू ? क्या करू ? यह बात मेरे मन में गूंजी |

क्या पता मेरी कुंडली में ही छिपी सफलता की कुंजी ||

अर्थात सटीक फल कथन से आप अपनी सफलता की राह आसान बना सकते है |

शुभम

मुकेश पटेल

3 Replies to “सफलता कि कुंजी ‘चंद्रमा’ | Moon: The Key to Fortune

  1. Very good explained in detail with examples with reference of holy book Shreemad Bhagvad Gita’
    Wel done ,
    Shubham 🙏🙏

  2. બહું જ સરસ વાત,અને એટલી સાચી પણ છે.સાથે રજુઆતની શૈલી પણ અદભૂત છે.

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