शुभम मित्रों,
ऋतुराज वसंत या वेलेंटाइन डे पूरब और पश्चिम एक या अलग अलग ?!?!?
वेलेंटाइन डे :
आइए पहले थोड़ा सा इस पश्चिमी त्योहार के बारे में जाने। यूं तो बहुत सी बाते प्रचलित है, थोड़ी इतिहास से जुड़ी हुई तो कुछ खगोलीय….
- आज से बहुत साल पहले रोमन संस्कृति में एक त्योहार हुआ करता था “लुपरकेलिया” जो पेगन त्योहार में से एक है और फरवरी माह के मध्य में मनाया जाता था, जो की वसंत की शुरुआत थी. यह त्योहार प्रजनन शक्ति से जुड़ा हुआ माना जाता है।
- ओर एक कहानी अनुसार रोम में तीसरी शताब्दी के करीब एक क्रूर राजा क्लॉडियस हुआ करता था, जिसने अपनी सेना को मजबूत करने के लिए अपने राज्य में शादी ब्याह पर रोक लगा दि थी, जिससे की सैनिक भावनाओं में ना बह जाए। उसी समय पर एक पवित्र और दयालु संत वेलेंटाइन हुआ करते थे। जिनसे सैनिकों का दुख देखा नहीं गया और उन्होंने राजा की आज्ञा ना मानकर, इस नाइंसाफी के खिलाफ जा कर बहुत से जोड़ों की शादी करवाई। जिससे नाराज होकर राजा ने उनको मौत की सजा सुनाई, वो दिन था 14 फरवरी का। उन्हीं की याद में उनके नाम से ये त्योहार तब से प्यार का इजहार करने के लिए मनाया जाने लगा।
प्रेम की कोई जाति नहीं होती ना ही कोई सरहद। धीरे धीरे ये प्यार के इजहार का त्योहार पूरी दुनिया में मनाने जाने लगा। और अभी तो इसको बहुत ही व्यावसायिक स्वरूप दिया गया है। जहाँ पर प्यार के इजहार को एक कौटुंबिक स्वरूप में देखना चाहिए उसकी जगह सिर्फ जोड़ों में ही मनाने तक यह सीमित रह गया है।
ऋतुराज वसंत:
आइए अब एक नजर हमारी पूरब की संस्कृति पर भी डालते है। नई पीढ़ी जो की पश्चिमी संस्कृति से प्रभावित होती जा रही हे उनसे में कहना चाहूँगी की हमारी सनातन संस्कृति में भी प्रेम को सहज और सरल तरीके से प्रदर्शित किया जाता है। हमारे अधिकतर त्योहार ऋतु ओ से जुड़े हुए है। ऋतु ओ के बदलाव का शरीर और मन पर बहुत प्रभाव रहता है।
- आप सभी जानते है जब ठंड की विदाई होती हे और गर्मी की शुरुआत तब प्रकृति का सौन्दर्य सभी ऋतु ओ से बढ़कर होता है। जिसे हम ऋतुराज वसंत के नाम से जानते है। और प्रकृति के इस बदलाव को वसंतोत्सव के रूप में मनाते है।
- वसंतोत्सव का प्रारंभ माघ महीने की शुक्ल पंचमी यानी वसंत पंचमी से होता है। जो की जूलियन कैलंडर के अनुसार फरवरी के करीब का समय है। इस साल हमारे पंचांग अनुसार तारीख 16-02-2021 को यह त्योहार मनाया जाएगा।
- वसंत पंचमी का उत्सव मदनोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। यह उत्सव श्रीकृष्ण और कामदेव को समर्पित है। कामदेव, श्रीकृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न का अवतार माना गया है।
- मान्यता यह भी है की बसंत पंचमी के दिन ही कामदेव और उनकी पत्नी रति ने पहली बार मानव हृदय में प्रेम एवं आकर्षण का संचार किया था तभी से यह दिन वसंतोत्सव तथा मदनोत्सव के रूप में मनाया जाता है।
- इस ऋतु में प्रकृति मनमोहक रूप धारण करती है जिसे देख जड़ चेतन सभी में नव जीवन का संचार होता है। सभी में अपूर्व उत्साह और आनंद की तरंगें दौड़ने लगती है।
- यह उत्सव कला और ज्ञान की देवी सरस्वती को भी समर्पित है। इस दिन सरस्वती पूजन का विशेष महत्व है।
पंचमी तिथि प्रारंभ : तारीख 16-02-2021, समय = 03:39am
पंचमी तिथि समाप्ति : तारीख 17-02-2021, समय = 05:48am
नक्षत्र : तारीख 16-02-2021 को रेवती नक्षत्र 20:58 pm तक
शुभ योग : अमृत योग और अमृत सिद्धि योग
पंचक समाप्ति : तारीख 16-02-2021 को समय 20:58pm
सरस्वती पूजा मुहूर्त : तारीख 16-02-2021 को समय 06:59am से 12:35pm तक
- यह उत्सव रंगों का पर्व भी माना गया है, इसलिए इस उत्सव के अंतिम दिन को रंग पंचमी के रूप में मनाया जाता है।
आशा है आपको मेरा लेख पसंद आया होगा, पढ़कर कमेन्ट करना ना भूले। कुछ ऐसी ही रोचक जानकारी के साथ फिर मिलेंगे। शुभम।
भारतीय संस्कृति को उजागर करने के लिए धन्यवाद 🙏🙏
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