तिथि की कहानी: भाग 2 | The Story of Tithi: Part 2

tithi-importance-of-tithi-ki-kahani-2-cosmoguru

By Namrata Oza

शुभम,

तिथी की कहानी -1 मे हमने देखा की तिथि क्या है, कितनी है , पक्ष , पक्ष के नाम ,  तिथि के नाम और  वृद्धि और क्षय तिथि क्या है | अब यहा हम थोड़ा और जानेगे तिथि को |

यदि अपने पढ़ा हो तो चंद्रमा के लेख मे मीने लिखा है की क्षीण चन्द्र और पूर्ण चन्द्र और उसके बल के बारे मे , वैसे ही यहा तिथि जिसमे चन्द्र का बल ज्यादा होता है उस तिथि को शुभ माना जाता है | चंद्र के बल के हिसाब से तिथि :

  • उत्तम तिथि :  जैसे पुर्णिमा के 5 दिन पहले और 5 दिन बाद के । यानि शुक्ल पक्ष की एकादशी से लेकर कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथी को उत्तम तिथि कहा गया है |  
  • अधम तिथि  : यहा चन्द्रमाँ का बल बहोत कम होता है न के बराबर , तो अमावस्या से पहले 5 दिन और बाद के 5 दिन , यानि कृष्ण पक्ष की एकादशी से लेकर शुक्ल पक्ष की पंचमी तक की तिथि को अधम तिथि कहते है |
  • मध्यम तिथि : शुक्ल पक्ष की और कृष्ण पक्ष की  षष्ठी से लेकर दशमी तक की तिथि को मध्यम तिथी कहते है |
  • शुक्ल पक्ष एकम , कृष्ण पक्ष त्रयोदशी और अमावस्या को शुभ कार्य के लिए वर्ज्य माना गया है |

यह बात हुई चंद्र के बल के अनुसार ,

अब तिथि के 5 दूसरे  प्रकार है :

1नन्दा तिथिएकम , षष्ठी , एकादशी
2भद्रा तिथिद्वितीय , सप्तमी , द्वादशी
3जया तिथितृतीया , अष्टमी , त्रयोदशी
4रिक्ता तिथिचतुर्थी, नवमी , चतुर्दशी
5पूर्णा तिथिपंचमी, दशमी , पुर्णिमा

जब यह तिथि कोई एक वार पे आती है तो सिद्धि योग बनती है और उसे शुभ कहते है  |

  • नन्दातिथि जब शुक्रवार को अति है तो उसे शुभ माना जाता है ।
  • भद्रा  तिथि यदि बुधवार को अति है तो उसे शुभ माना जाता है |
  • जया तिथि यदि मंगलवार को अति है तो उसे शुभ माना जाता है |
  • रिक्ता  तिथि शनिवार को आने से शुभ मानी जाती है ।
  • पूर्णा तिथि  गुरुवार को आने से उत्तम मानी जाती है ।

अब देखते है नंदादितिथि मे कौनसे कार्य करना अच्छा रेहता है : –

नन्दातिथि :  वस्त्र, गायन- वाद्य , नृत्य , कृषि उत्सव या गृह संबंधी कोई शिल्प के अभ्यास के लिए इसे उत्तम माना गया है |

भद्रा तिथि : विवाह , उपनयन , यात्रा , आभूषण बनाना और उसका उपयोग करना , कला शिखना  आदि कार्यो के लिए इस तिथि को शुभ माना गया है |

जया तिथि : गृह आरंभ , गृह प्रवेश , यात्रा , उत्सव , सैन्य संगठन , सैनिक शिक्षा , शस्त्र निर्माण और व्यापार के कार्य यह तिथि मे कर सकते है |

रिक्ता तिथि :   शत्रु दमन , शत्रु को कैद करना , विश देना , शस्त्र का प्रयोग करना , शल्य क्रिया ( operation) जैसे कार्य कर सकते है |

पूर्णा तिथि :   विवाह , यज्ञपोवित , राज्याभिषेक , शांतिकर्म,  यात्रा  जैसे कार्य कर सकते है | 

हम सब जानते है की हमारे शास्त्र बहोत ही पुराने है | सदियों पहले लिखे गए है , महाभारत – रामायण काल से भी पेहले । तब राज रजवाड़ो का शासन रेहता था , तो उस हिसाब से यहा लिखा गया है | जैसे शत्रु दमन और शत्रु को कैद करना मलतब , उस टाइम पे  राजा के जो शत्रु होते थे उन को कैद करना  या उन को बंदी बनाना , शस्त्रो का निर्माण इत्यादि ॥  मुहूर्त शास्त्र मे एसी बहोत सी जानकारी दी गई है , तिथि नक्षत्र , योग और  करण के बारे मे भी | यहा हमने सिर्फ प्राथमिक जानकारी दी है |

आशा करती हु आपको यह लेख थोड़ी बहोत जानकारी तिथि के बारे मे देने मे समर्थ रहा होगा | यदि आपको कुछ पूछना है , जानना है तो कमेंट मे लिख सकते है |

शुभम

3 Replies to “तिथि की कहानी: भाग 2 | The Story of Tithi: Part 2

Comments are closed.